
Hiten Bhuta is an extraordinary international business leader, hospitality technology expert & proven researcher with long track-record of outstanding skills & abilities.
Hiten’s books are simple and inspirational. The books allows readers to create an empowering view about themselves and experience the presence of timeless essence.
Hiten’s first book “I See God In You” is about ability to notice presence of divinity, sacredness and greatness in others in everyday life situations.
Hiten’s energetic and visionary coaching and lectures have inspired many of his staff members to write some of the most popular books on technology, corporate management and leadership.
★★★★★ “A concise guidebook to health, wealth and happiness in business (and life!)” – Dana (Amazon Customer)
The Ultimate Unity contains real life stories and passages from world’s top scriptures to create the long lasting foundation for global peace, prosperity and harmony.
★★★★★
Book about simple changes in YOUR VIEW that can Produce Life-Altering Results
Work is an important part of our world, but it’s only one component out of many. How can we shape our worldview to be more constructive for our lives and health overall?In this collection of articles, I present to you my thoughts on dreaming, writing, and taking risks.
You are awesome.
You are deeply loved & respected.
You are a creator.
આજે આપણે આ અધ્યાયમાં આદિ શંકરાચાર્યના આત્મ શતક વિશે વાત કરવા જઈ રહ્યા છીએ. આદિ શંકરાચાર્ય દ્વારા રચિત એક સ્તોત્ર છે જેના એક શ્લોક ઉપર આપણે વાત કરીશું. આદિ શંકરાચાર્ય 2500 વર્ષ પૂર્વ એક ખૂબ જ અસરકારક, અને એક પરમજ્ઞાની મહાપુરુષ રહ્યા છે. જ્યારે તેઓ 8 વર્ષના હતા ત્યારે તેઓ ગુરુની પાસે જ્ઞાન લેવા ગયા હતા.
આપણે એક યાત્રા પર જેને આપણે એક નામ આપ્યું છે, “સ્વયં ની ખોજ”. આ પોતાને ઓળખવાની, પોતાને ગોતવાની, પોતાને જોવાની યાત્રા છે અને શંકરાચાર્ય આપણે આ યાત્રા પર લઈ જાય છે. શંકરાચાર્ય આપણા માર્ગદર્શક છે અને હું સાથે એમનો સમાન ઉપાડીને ચાલુ છું.
આ પુસ્તક દ્વારા સંપૂર્ણ ભાગવત નહિ, પરંતુ દરેક સ્કંધ માંથી એક કથા અને એક શ્લોક પર વિચાર કરી ભાગવતના અભ્યાસની પા પા પગલી કરવાનો પ્રયાસ કરેલ છે. આવા બાલિશ પ્રયત્નથી કદાચ ભાગવત જેવા શ્રેષ્ઠ ગ્રંથને યથાયોગ્ય ન્યાય ન પણ આપી શકાય. પરંતુ જો પુસ્તકના અભ્યાસ બાદ જો કોઈને હૃદયમાં ભગવદ પ્રેરણા થાય, કે ભગવાનની એક માળા વધારે ફેરવીએ, વહેલા ઉઠીને પહેલા ભગવાનનું નામ લઈએ, જમતી વખતે અથવા રાત્રે સૂતી વખતે ભગવાનને યાદ કરીએ. ભગવાન પ્રત્યેનો ભાવ આવે. આપણા પર ભગવાને જે ઉપકારો કર્યા છે તેના માટે આભારની ભાવના જાગે તો ભાગવતના અભ્યાસનો આ પ્રયાસ યથાર્થ સમજશું.
ह्यूमन एवोल्युशन (Human Evolution) के सन्दर्भ में, इस पुस्तक के माध्यम से, मानव के क्रमिक-विकास के इतिहास के बारे में हमें अत्यंत महत्वपूर्ण जानकारी प्राप्त होगी।
विश्व में मानव जाति का, प्रत्येक जीव-जंतु आदि का उदय, एक “Cell ” यानी एक कोशिका से कैसे हुआ। इसके साथ ही, इस पुस्तक में वर्णित अध्यायों के द्वारा और उसमें दिए गए, वैज्ञानिक तथ्यों के आधार पर, हम यह जान पाएंगे कि विश्व का सृजन कैसे हुआ अर्थात यह दुनिया कैसे बनी।
आज हम आदि शंकराचार्य के आत्म शतक के ऊपर बात करने वाले हैं. आदि शंकराचार्य का एक श्लोक है, उसके ऊपर हम बात करेंगे. आदि शंकराचार्य 2500 साल पहले एक बहुत प्रभावी और एक परम ज्ञानी व्यक्ति रहे हैं. जब वे 8 साल के थे, वे गुरु के पास गए ज्ञान लेने गए। हमारी भारतीय संस्कृति में जीवन की परिपूर्णता, जीवन का सर्वोच्च शिखर, जीवन की श्रेष्ठता, जीवन की पूर्ति, इस बात में नहीं है कि कोई कितना पैसा कमाता है या उसकी हैसियत क्या है? ऐसा कभी नहीं सोचा जाता है. भारत में हमेशा यह सोचा जाता है की जीवन की परिपूर्णता, श्रेष्ठता, जीवन में सर्वोच्च स्तर यह है की हम यह जान लें की हम कौन हैं और हम खुद को पहचान लें।
इस भाग में हम यह जानेंगे कि, किसी शब्द के अर्थ और उसके द्वारा प्रभावित मानव जीवन, किस तरह का संसार खड़ा करता है, और एक व्यक्ति की बाहरी दुनिया और आंतरिक दुनिया किस तरह से भिन्न-भिन्न है।
साथ ही हम यह जानेंगे कि इस संसार में वास्तविकता और काल्पनिकता में किस तरह का भेद है, और इस भेद ज्ञान में शब्दार्थ का कितना महत्त्व है।
भाषा-विज्ञान एक वृहद् विषय है, जिसमें आप जितना गहराई में जाएंगे, उतने ही बहुमूल्य रत्न मिलेंगे।
जैसा कि भाषा-विज्ञान से स्पष्ट है कि “भाषा” का अपना एक “विज्ञान” है। अब तक यह संपूर्ण रूप से सिद्ध हो चुका है कि, प्रत्येक भाषा का एक विज्ञान है, जिसमें हम प्रयोग, आकलन, उपयोग जैसे कुछ घटकों का विश्लेषण करते हैं, जैसा कि विज्ञान विषय में अक्सर किया जाता है।
इस शीर्षक से एक महत्वपूर्ण प्रश्न यह उठता है कि, भाषा-विज्ञान का जीवन में क्या महत्त्व होगा?
क्या किसी भाषा का कोई विज्ञान हो सकता है ?
भाषा और उसका विज्ञान हमारे जीवन को कैसे प्रभावित कर सकता है ?
भाषा-विज्ञान और मानव जीवन का क्या सम्बन्ध है ?
हम अभी आत्मा शतक के अंतिम श्लोक की चार पंक्तियों के ऊपर बात करने वाले हैं, अभी तक आदि शंकराचार्य ने पाँच श्लोक में हमें यह बता दिया है कि हम क्या नहीं हैं, अभी आदि शंकराचार्य कहते हैं,
“अहं निर्विकल्पो निराकार रूपो,
विभुत्वाच सर्वत्र सर्वेन्द्रियाणाम्।
न चासङ्गतं नैव मुक्तिर्न मेयः,
चिदानन्दरूपः शिवोऽहम् शिवोऽहम् ।।6।।“
इस श्लोक को हम समझेंगे की आदि शंकराचार्य क्या कहते है।
हम अभी आत्मा शतक के अंतिम श्लोक की चार पंक्तियों के ऊपर बात करने वाले हैं, अभी तक आदि शंकराचार्य ने पाँच श्लोक में हमें यह बता दिया है कि हम क्या नहीं हैं, अभी आदि शंकराचार्य कहते हैं,
“अहं निर्विकल्पो निराकार रूपो,
विभुत्वाच सर्वत्र सर्वेन्द्रियाणाम्।
न चासङ्गतं नैव मुक्तिर्न मेयः,
चिदानन्दरूपः शिवोऽहम् शिवोऽहम् ।।6।।“
इस श्लोक को हम समझेंगे की आदि शंकराचार्य क्या कहते है।
भाषा विज्ञान के अनुसार हर एक शब्द के अर्थ से एक भावनात्मक लगाव होता है, जो किसी व्यक्ति विशेष की अपनी दुनिया से बहुत गहरे अर्थों में जुड़ा होता है।
यदि हम “ख़ुशी” शब्द को ही लें लें तो हमारा “अनुभव” सुखद होगा, यदि “दुःख” को लें लें तो हमारा “अनुभव” कुछ अच्छा नहीं होगा, और यदि हम “मृत्यु” शब्द को यदि कही पढ़ लें या सुन लें, तो हमारा “अनुभव” शत प्रतिशत यही होगा कि “ये क्या सुन लिया, अच्छा यह हो कि ना ही सुनना पड़े”।
इस पुस्तक को पढ़ना आरम्भ करने के पहले आप एक प्रश्न स्वयं अपने आप से करें, “आपका यह पुस्तक पढ़ने का उद्देश्य क्या है”?
आपने क्यों इस पुस्तक को पढ़ने के लिए चुना ?
“ध्यान” के बारे में इस पुस्तक के माध्यम से आप क्या पाना चाहते हैं ?
“ध्यान” को आपने किन अर्थों में लिया है, जिससे आपके “भौतिक” और “आंतरिक” जीवन में कुछ उत्थान हो ?
या आपने “ध्यान” को सिर्फ अपने दैनिक जीवन में होने वाली समस्याओं के निदान के लिए चुना है ?
अभी हमने चार स्तोत्र पूरे कर लिए हैं और अभी हम पांचवें श्लोक पर बात करेंगे।
“न मृत्युर् न शंका न मे जातिभेद:
पिता नैव मे नैव माता न जन्म
न बन्धुर् न मित्रं गुरुर्नैव शिष्य:
चिदानन्द रूप: शिवोऽहम् शिवोऽहम् ॥5॥“
इस श्लोक को हम समझेंगे की आदि शंकराचार्य क्या कहते हैं.
Hiten Bhuta is an extraordinary international business leader, hospitality technology expert & proven researcher with long track-record of outstanding skills & abilities.